Sunday 7 October 2018

समय

समय ही रूलाता है,
समय ही हॅसाता है।


समय ही किसी को मरना सिखलाता है,
समय ही सबको जीना सिखलाता है।


समय ही रूठता है,
समय ही मनाता है।

समय ही हराता है,
समय ही जिताता है।

समय ही कल था,
समय ही आज है। 

बंदा ही मुर्ख है जो सोचता है,
मेरे साथ ऐसा क्यों  हुआ
ये तो समय की माया है ,
ये तो समय की काया है। 

हम तो सिर्फ समय के हाथो की कठपुतली है
उसने जैसा चाहा वैसे नचाया है हमको।
शायद इसलिए किसी ने कहा है,
गुमान जितना करना है कर ले ,
एक दिन मेरा समय भी आएगा। 

No comments: