Friday, 14 September 2018

ऐ बन्दे तू क्या सोचता है
तेरे पास तो छत है सोने को
आँचल है माँ का सर झुकाने को
पीड़ा तो पेड़ पोधो की है
पशु पक्षियों की है,
जिनके पास न कोई आशियाना नहीं है
कोई राह कोई मंजिल नहीं है
फिर भी खुश रहते है
क्यूंकि उनके पास सिर्फ कर्म है।

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