हर दिन एक ही बात कहते हो
नारी पर प्रतिबंध लगाते हो ?
जन्म लिया लड़की का उसे मनहूस कहते हो,
बड़ी हुई तब शिक्षा पर रोक लगाते हो,
क्यों नारी पर प्रतिबंध लगाते हो ?
कुछ नहीं कर पाते तो माता पिता पर बोझ बताते हो,
क्यों नारी पर प्रतिबंध लगाते हो ?
बड़ी हुई तब शिक्षा पर रोक लगाते हो,
क्यों नारी पर प्रतिबंध लगाते हो ?
कुछ नहीं कर पाते तो माता पिता पर बोझ बताते हो,
क्यों नारी पर प्रतिबंध लगाते हो ?
उसे आगे बढ़ने नही देते हो ?
बढ़े आगे तो कुछ करने नही देते हो।
क्यों नारी पर अपना अधिकार जताते हो?
अपनी अश्लील नजरो को तुम उस पर बिछाते हो
कभी राह में तुम्हे मिल जाये तो उसे नोचना चाहते हो।
क्यों नारी का गला दबाना चाहते हो ?
खेल समझते हो इसे, ओर नाम परंपरा का लेते हो।
लड़की-जात, लड़की-जात का शोर करते हो ?
क्यों बार-बार नारी का तिरस्कार करते हो ?
फूल कहकर उसे पैरो से कुचलते हो।
हर दिन नारी की आखो में आंसू देते हो ?
हर दिन नारी पर प्रतिबन्ध लगाते हो।
खेल समझते हो इसे, ओर नाम परंपरा का लेते हो।
लड़की-जात, लड़की-जात का शोर करते हो ?
क्यों बार-बार नारी का तिरस्कार करते हो ?
फूल कहकर उसे पैरो से कुचलते हो।
हर दिन नारी की आखो में आंसू देते हो ?
हर दिन नारी पर प्रतिबन्ध लगाते हो।
क्यों नारी पर प्रतिबंध लगाते हो ?
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