Wednesday 6 September 2017




बिखर जाती है जिंदगी, जब कोई सहारा छूट जाये,
किसी को क्या कहे , जब रूह ही रूठ  जाये। 
कैसे किसी से कोई शिकायत की जाये,
जब अपना सजाया हुआ आशियाना ही बिखर जाये।   

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