बिखर जाती है जिंदगी, जब कोई सहारा छूट जाये,
किसी को क्या कहे , जब रूह ही रूठ जाये।
कैसे किसी से कोई शिकायत की जाये,
जब अपना सजाया हुआ आशियाना ही बिखर जाये।
किसी को क्या कहे , जब रूह ही रूठ जाये।
कैसे किसी से कोई शिकायत की जाये,
जब अपना सजाया हुआ आशियाना ही बिखर जाये।
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