Saturday 7 October 2017

निराशा का पथ



निराशा का पथ 

लाख कोशिशों के बाद भी जब मंजिल से मिलन नहीं हो पाता है, 
दुःख तो बहुत होता है परन्तु, निराशा का वो पथ भाता है 
कौन सही है या कौन गलत इसका बोध कराता है 
क्यूंकि निराशा का वो पथ हमे भाता है।  

वो आशा का दीपक जब बार बार बुलाता है।
ना ना कहकर जब वो हमे तोड़ जाता है।
एक नया पाठ जीवन में वो लाता है
मन में भरा अहंकार वो झुका के जाता है।
निराशा का पथ कुछ सीखा कर जाता है।

जब भी कुछ सिखने का मन में विचार आता  है।  
एक नयी आशा का सूर्योदय हो जाता  है।  
आशा से असंतोष का जो भाव मन में आता है।  
सच में सुखद वो अहसास जीवन में बढ़ना सिखाता है। 
क्यूंकि निराशा का पथ एक नया इतिहास लाता है। 

गोपियों को भी प्यारा श्याम था,
पल पल उनकी आँखों में बस उसका इंतज़ार था।  
हर जगह, हर दिवार पर श्याम का ही नाम था।
वो अहसास ही गोपियों का मजबूत हथियार था।  
उद्धव के समक्ष भी अटल उनका विश्वास था।  
निराशा का वो पथ, अटूट प्रेम का प्रमाण था 

प्यार में धोखा खाकर, जीवन टूट सा जाता है, 
हर पल आशू भी बहाकर, गम नहीं छुप पाता है,
दर्द दिल का बताकर, समाज भी हँस जाता है।  
संगम न हुआ हो सागर से, किससे किसका  नाता है। 
सोच सोच कर, रो रो कर, याद वो आता है।     
राह में अकेले जो छोड़कर जाता है 
मजबूत सदैव हमे वो बना जाता है।  
धैर्य उस समय निराशा का पथ देकर जाता है।  

समय के साथ साथ चलना, भाव दया का मन में रखना,
सत्य साथ निभाते रहना, मन विश्वास पर अटल रहना 
लक्ष्य को जूनून बनाना, आशा का दीप जलाना, 
निराशा की एक किरण ही, इन सब का विकास है   
निराशा का ये पथ, अंधकार का विनाश है।  

चाँद की उचाई से, समुन्द्र की गहराई तक।
कोई ठोकर देता है, कोई वजूद छीन लेता है।
कोई अपाहिज़ बन देता है, तो कोई तेजाब से जला देता है।
साथ खड़ा होने को कहो, तो धकेल कर चला जाता है।
जब तक टूट न जाये, जब तक बिखर न जाये,
वक़्त भी नचाता है, और समाज भी नचाता है।
सिर्फ निराशा का पथ ही बुलंद बनाता है
उसकी एक तिल्ली से ही मन में आशा का दीप जलता है
जो जलता है, वो तपता है,
निराशा की सिख से ही, जीवन का पथ बनता है।

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